आपकी जिज्ञासा



हिंदी साहित्य कोश के निर्माण, इसके विभिन्न खंडों के विषयों और इनके अंतर्गत प्रविष्टियों और सहभागिता के संबंध में यदि कोई जिज्ञासा हो तो भेजें।

कुछ प्रश्न

(1) प्रश्न   : कोश में प्रविष्टि लेखन कौन लोग कर रहे हैं?
उत्तर : कोश में अनुभवी साहित्यकार विषय विशेषज्ञ और अध्ययनरत शोधकर्ता लिख रहे हैं। कोश के प्रविष्टि लेखन का एक खास स्वरूप है (रूपरेखा देखें)। इसके अनुसार जो लिख रहे हैं, हम उन्हीं से सहयोग ले पा रहे हैं।

(2) प्रश्न   : प्रविष्टियों के विषय कैसे निर्धारित होते हैं?
उत्तर : प्रविष्टियों के विषय विशेषज्ञों के परामर्श, विभिन्न ग्रंथों के अध्ययन और प्रविष्टि लेखकों के सुझावों  के आधार पर निर्धारित होते हैं।

(3) प्रश्न   : अब तक कितनी कार्यशालाएं हुई हैं?
उत्तर : आर्थिक संसाधन की सीमा को देखते हुए दो खंडों पर सिर्फ दो कार्यशालाएं होनी हैं। पहली शीघ्र होगी।

(4) प्रश्न   : क्या प्रविष्टि लेखन पर पारिश्रमिक की व्यवस्था है?
उत्तर :  हर प्रविष्टि लेखन पर मुद्रित होने वाले 250 शब्दों पर न्यूनतम रु.250/- से 1500 शब्दों पर रु. 1000/- तक मानदेय की व्यवस्था है। यह प्रविष्टि लेखन मिलने के बाद यथाशीघ्र भेज दिया जाता है।

(5) प्रश्न   : क्या कोई संपादक मंडल है?
उत्तर : हाँ। हर प्रविष्टि को संपादन, भाषा संपादन, प्रधान संपादक द्वारा संपादन --- कई चरणों से गुजरना है। इस प्रक्रिया में सुविधानुसार कुछ पहले--कुछ बाद में संभव है।

(6) प्रश्न   : क्या कोई सरकारी अनुदान मिला है?
उत्तर : कोई सरकारी अनुदान नहीं लिया गया है। भारतीय भाषा परिषद एक स्वायत्त संस्था है। इस कठिन समय में इसने खुद अपने संसाधनों और साहित्यकारों के लेखन सहयोग से हिंदी साहित्यकोश निर्माण का संकल्प लिया है।

(7) प्रश्न   : प्रविष्टियों का आकार कैसे तय होता है?
उत्तर : प्रविष्टि के विषय के वजन और जरूरी जानकारियों का अनुमान करके प्रविष्टियां मुख्यत: 250, 500, 750, 1000 और 1500 शब्दों के आसपास रह कर लिखी जा रही हैं। कुछ प्रविष्टियां, 2000 और 3000 शब्दों की भी हैं। मुख्य बात है अति-आवश्यक जानकारियां, शब्द सीमा का आधार यही है।

(8) प्रश्न  : प्रविष्टियां हाथ से लिखकर भेजी जाएं, टाइप करा कर या ई-मेल द्वारा?
उत्तर : साफ अक्षरों में कागज के एक तरफ हाथ से लिखकर भी भेजी जा सकती हैं, यदि अन्य सुविधाएं न हों।

2 comments:

  1. शानदार, परिश्रमसाध्य और महत्त्वकांक्षी परियोजना, जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम ही है।
    सादर,
    प्रांजल धर

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    1. धन्यवाद । कोश निर्माण में निरंतर लगे रहें ।

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धन्यवाद