वरिष्ठ
और नई पीढ़ी के लगभग 200 लेखकों द्वारा निर्माणाधीन
हिंदी
साहित्य कोश
4000
पृष्ठों और 4 खंडों में भारतीय भाषा परिषद की गौरवशाली
परियोजना
लक्ष्य
और रूपरेखा
1. यह
हिंदी का साहित्य कोश है। इसमें संदेह नहीं, हिंदी की
प्रकृति और भूमिका अन्य भारतीय भाषाओं से कुछ विशिष्ट है। इसलिए यह कोश हिंदी
प्रदेशों के अलावा दक्षिण भारत, उत्तर-पूर्व और अन्य भारतीय क्षेत्रों
की भाषाओं, संस्कृतियों, दर्शनों,
सिद्धांतों
और महान कृतियों से भी अपनी सीमा में साक्षात कराएगा। इतना ही नहीं, यह
हिंदी क्षेत्र की 48 लोकभाषाओं, भाषाओं और इनकी
कलाओं-संस्कृतियों की भी छवियां देगा।
2. यह
साहित्य कोश है, पर पिछले कुछ दशकों से साहित्य का अर्थ व्यापक
हुआ है। साहित्य सिर्फ कविता, कहानी, उपन्यास तक सीमित
मामला नहीं है। इसके अलावा साहित्य जितना स्थानीय और राष्ट्रीय मामला है, उतना
ही हर देश में यह वैश्विक प्रभाव से भी जुड़ा है। इसका संबंध मानव जीवन से है।
इसलिए स्वाभाविक है कि हिंदी साहित्य कोश में भारतीय जीवन की समस्याओं से जुड़े
विषय होंगे। इसमें प्रकृति और पर्यावरण, मीडिया, वंचित समुदाय,
मानव
मूल्य और मानवाधिकार से संबंधित प्रविष्टियां भी होंगी। हिंदी साहित्य कोश में
भारतीय सिद्धांतों के अलावा पश्चिमी
सिद्धांत और एक तरह से विश्व विचार संपदा से चुनिंदा प्रविष्टियां होंगी, ताकि
पाठक हिंदी की खिड़की से पूरे आकाश की रोचक झलक देख सकें।
3. निश्चय
ही भारत और दुनिया की जो चीजें हिंदी साहित्य कोश की प्रविष्टियां बनेंगी, उनका
हिंदी साहित्य से यथासंभव संबंध दिखाया जाएगा। ऐसे भी, आज सामान्य पाठक
किसी कोश से बहुत सारी चीजों के बारे में
जानना चाहता है। कोई कोश पाठक की सारी जिज्ञासाओं का समाधान नहीं कर सकता, पर
एक सार्थक कोश उसकी जिज्ञासाओं को तीव्र जरूर करता है।
4. एक
मुकम्मल कोश बनाने के लिए कई तरफ से सहयोग
की जरूरत है। यह प्रसन्नता की बात है कि हमें देश-विदेश से वरिष्ठ और नई पीढ़ी
के लेखकों का व्यापक सहयोग मिल रहा है।
हमें कोश-निर्माण की प्रक्रिया में ध्यान में रखना होगा कि यह प्रतिनिधित्वपरक और
समावेशी हो। इसे हिंदी पर केंद्रित रहते हुए भारत के हजारों साल के
चिंतन और विविध उपलब्धियों का निचोड़ होना है, ताकि हिंदी की
विशिष्टता के साथ अखंडता भी नजर आए। कोश
को वस्तुपरक, रोचक और ग्राह्य बनाना होगा। इसे चित्रात्मक
बनाए बिना भी काम नहीं चलेगा। यह कोश भारतीय भाषा परिषद का निर्माण होते हुए भी
देश और हिंदी की एक सामूहिक उपलब्धि होगा।
5. हिंदी
साहित्य कोश का निर्माण एक कठिन समय में हो रहा है। यह एक निश्चित अवधि-निर्धारित
परियोजना है। इसके पहले दो खंडों के वे विषय नीचे दिए जा रहे हैं, जिनके
अंतर्गत लगभग 2000 प्रविष्टियां हैं।
पहला
खंड : भाषा
और संस्कृति
दूसरा
खंड : सिद्धांत,
अवधारणाएं
और प्रवृत्तियां
प्रविष्टि
लेखन का स्वरूप
कोश के लिए प्रविष्टि लेखन आम आलोचनात्मक लेखक
से कुछ भिन्न होता है। इसलिए कोश की सामान्य प्रकृति के अनुरूप इन बिंदुओं को
ध्यान में रखने की जरुरत है। (क) शब्द-सीमा/संक्षिप्तता, (ख) अति आवश्यक
तथ्य चयन--कम आवश्यक तथ्यों के त्याग, (ग) विषय केंद्रिकता, (घ)
विश्लेषणपरक/प्रेरणादायी - जरूरी उद्धरण के समावेश, (च) विषय के हिंदी साहित्य से संभव संबंध, (छ)
मुख्य वैचारिक बिंदुओं और अभिप्राय के उद्घाटन, (ज) अद्यतन सूचना,
(झ)
समावेशिकता, (ट) भाषा की स्पष्टता/तद्भवपरकता, (ठ)
आवश्यक जगहों पर विस्तृत अध्ययन के लिए संदर्भ ग्रंथों का उल्लेख
हिंदी
साहित्य कोश में योगदान हिंदी की अखंडता और आधुनिक खुलेपन के साथ राष्ट्रीय
पुनर्जागरण में हिस्सेदारी है।
अति उत्तम
ReplyDelete